नई दिल्ली, 18 अगस्त 2020
YASH KUMAR SONI @reporteryash5
IAF को पायलटों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. 1 फरवरी, 2018 को, सरकार ने राज्य सभा को सूचित किया कि भारतीय वायुसेना के पास 4,851 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 3,855 पायलट ही थे.
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- 2018 में ही वायुसेना 376 पायलटों की कमी का सामना कर रही थी
- 2016 में 100 पायलटों और 2017 में 114 ने भारतीय वायुसेना छोड़ी
बीते दस साल में भारतीय वायुसेना (IAF) के 798 पायलटों ने इस्तीफा दिया है. ये चौंकाने वाला खुलासा खुद भारतीय वायुसेना ने उस सूचना के अधिकार (RTI) वाली याचिका के जवाब में किया है जो इंडिया टुडे की ओर से दाखिल की गई.
IAF को पायलटों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. 1 फरवरी, 2018 को, सरकार ने राज्य सभा को सूचित किया कि भारतीय वायुसेना के पास 4,851 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 3,855 पायलट ही थे. इसलिए 2018 में ही वायुसेना 376 पायलटों की कमी का सामना कर रहा था. ये स्थिति IAF की तैयारियों के अनुकूल नहीं है.
2016 में 100 पायलटों और 2017 में 114 ने भारतीय वायुसेना को छोड़ा. वहीं 2015 में 37 पायलटों ने सेवानिवृत्ति से पहले इस्तीफा दिया. 2015 वो साल रहा जिसमें बीते एक दशक के किसी भी साल की तुलना में सबसे कम पायलट भारतीय वायुसेना से अलग हुए. नहीं तो हर साल औसतन 80 पायलट इस्तीफे दे रहे हैं.
‘सेवानिवृत्ति से पहले वायुसेना छोड़ने वालों में से कितने पायलट प्राइवेट एयरलाइंस में शामिल हुए?’ इस सवाल के जवाब में डायरेक्ट्रेट ऑफ पर्सनल सर्विस, एयर हेड क्वार्टर ने कहा, 'प्राइवेट एयरलाइन में शामिल होने वाले अधिकारियों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती, क्योंकि ऐसा कोई डेटा नहीं रखा जाता है. यह सार्वजनिक प्राधिकरण निजी एयरलाइन्स से जुड़ने के लिए एनओसी प्रदान करता है. रिकॉर्ड के मुताबिक संख्या इस प्रकार हैं-'
IAF पायलट एक महीने में करीब 2 लाख कमाता है
यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इस्तीफा देने वाले 798 पायलटों में से 289, को प्राइवेट एयरलाइंस की फ्लाइट्स के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिला. इसके सीधे मायने हैं बीते एक दशक में वायु सेना छोड़ने वाले पायलटों में से एक तिहाई से अधिक संभवत: कॉमर्शियल फ्लाइट्स उड़ा रहे हैं.
समाचार रिपोर्टों के मुताबिक, एक मध्य स्तर का IAF पायलट एक महीने में करीब 2 लाख कमाता है लेकिन जब वह एक प्राइवेट एयरलाइंस में शामिल होता है तो उसकी आय चार गुना तक बढ़ सकती है. अधिकतर IAF पायलट 20 साल की सेवा पूरी करने के बाद वायुसेना छोड़ देते हैं, इससे वो पेंशन के हकदार रहते हैं.
- हमने यह भी पूछा था कि 'भारतीय वायुसेना ने पायलटों के सेवा छोड़ने और प्राइवेट एयरलाइंस में शामिल होने से रोकने के लिए कोई नीति बनाई है या उस दिशा में काम कर रही है' तो जवाब में IAF ने कहा कि ऐसी कोई योजना या नीतियां मौजूद नहीं हैं.